
दिल्ली में आयोजित UAV और Counter-UAS प्रदर्शनी में जनरल अनिल चौहान ने साफ कहा कि “आज के युद्ध को कल की तकनीक से नहीं जीता जा सकता।” मतलब ये कि 21वीं सदी की लड़ाई में 20वीं सदी के हथियार अब शो-पीस हैं।
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“विदेशी हथियारों पर भरोसा छोड़ो”
जनरल चौहान ने विदेशी हथियारों पर निर्भरता को रणनीतिक कमजोरी बताया। उनका कहना है कि भारत को अब मेड इन इंडिया ड्रोन्स, AI आधारित सैन्य समाधान, और काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए। आखिर कब तक ‘इंपोर्टेड’ गोलियों से ‘स्वदेशी’ दुश्मनों का मुकाबला करेंगे?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ड्रोन्स की सच्चाई
पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे दुश्मन ने ड्रोन की बाढ़ ला दी थी। भारत ने ज़्यादातर मार गिराए, लेकिन इसने एक सबक भी दिया: आने वाली जंगें बिना पायलट के भी लड़ी जाएंगी।
पुराने हथियारों की छुट्टी तय!
उन्होंने बताया कि जैसे कभी भारी राइफल्स अब स्मार्ट राइफल्स में बदली हैं, वैसे ही टैंक, एयरक्राफ्ट, और अब ड्रोन्स — सभी को अपग्रेड करने का समय है। मतलब, दुनिया हल्की हो रही है — हथियार भी और हमारी उम्मीदें भी।

“ड्रोन आ गया है, बंदूक बेचो OLX पर”
पुराने ज़माने की बंदूकें और भारी हथियार अब म्यूज़ियम में अच्छे लगते हैं। अगली बार अगर युद्ध हुआ, तो शायद CDS भी फौजियों को Joystick थमा दें। और सैनिक बोले, “साहब! PUBG खेल रहे हैं या युद्ध लड़ रहे हैं?”
‘मेक इन इंडिया’ अब सिर्फ नारे से आगे बढ़े
सीडीएस चौहान का संदेश साफ है — अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल गर्व की बात नहीं, जरूरत की बात है। और अगर भारत को भविष्य की लड़ाई में आगे रहना है, तो ड्रोन से दोस्ती और विदेशी टेक से दूरी बनानी ही होगी।
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